Dil Ka Haal

तुझ से मैं दिल का हाल कहूँ या चुप रहूँ मैं?

तुझ से मैं दिल का हाल कहूँ या चुप रहूँ?
सुन ले यूँ तो बातें सारी, सुनता ना प्यार मेरा
क्यूँ मैं कहूँ फिर भला?
तुझ से मैं दिल का हाल कहूँ या चुप रहूँ?

जब तू मेरा कुछ भी नहीं है
फिर क्यूँ तू अपना लगे हैं?
जब तू मेरा कुछ भी नहीं है
फिर क्यूँ तू अपना लगे हैं?

आँखें मेरी देखती है जिसे भी
चेहरा तुझी सा लगे हैं
लगने लगे हैं सभी चेहरे अपने
बस तू बेगाना लगे हैं

तुझ से मैं दिल का हाल कहूँ या चुप रहूँ?

दिल ये पागल, समझे नहीं रे
कुछ भी है ये माँग ले
दिल ये पागल, समझे नहीं रे
कुछ भी है ये माँग ले

चाहे कभी तो तू सोचे मुझे भी
कभी तो मेरा नाम ले
पा ना सके ये जिसे ज़िंदगी में
उसे ज़िंदगी मान ले

तुझ से मैं दिल का हाल कहूँ या चुप रहूँ मैं?
सुन ले यूँ तो बातें सारी, सुनता ना प्यार मेरा
क्यूँ मैं कहूँ फिर भला?

तुझ से मैं दिल का हाल कहूँ या चुप रहूँ?



Credits
Writer(s): Shayadshah Shahebdin, Pratyush Prakash
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