Armaan

ऐसे थे ग़म सारे
अपने दिलों को हारे
राहों में हम सारे
अपने दिलों को हारे

कैसे कहूं कैसे जियूं
ग़म ये सारे हैं
ऐसे मेरे आसूं बहे
बागी हैं परवाज़

अरमान फ़िर क्यूं यहीं
ऐसे जान देके भी
मेरे दिल में है तू ही
और कुछ भी नहीं जानम
फ़िर भी बाकी हैं आवाज़
और बाकी हैं सवाल
अरमान फ़िर क्यूं यहीं

ज़िन्दगी बेगानी, अधूरी सी कहानी
राहों पे उलझी है, अधूरी सी कहानी

कैसे कहूं कैसे जियूं
ग़म ये सारे हैं
ऐसे मेरे आसूं बहे
बागी हैं परवाज़

अरमान फ़िर क्यूं यहीं
ऐसे जान देके भी
मेरे दिल में है तू ही
और कुछ भी नहीं जानम
फ़िर भी बाकी हैं आवाज़
और बाकी हैं सवाल
अरमान फ़िर क्यूं यहीं

खोए सभी हैं
भटकी ज़िन्दगी है
पीले आसूं है तो क्या

आगे चलकर ही
गिरके उठकर ही
सुनले अपनी तू आवाज़

अरमान फ़िर क्यूं यहीं
ऐसे जान देके भी
मेरे दिल में है तू ही
और कुछ भी नहीं जानम
फ़िर भी बाकी हैं आवाज़
और बाकी हैं सवाल
अरमान फ़िर क्यूं यहीं



Credits
Writer(s): Amit Yadav
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