Roshni Ho Gayi

ख़ुदा ने इब्तिदा में जमीन-ओ-आसमाँ बनाया
जमीं वीरान थी, जमीं सुनसान थी
था चारों ओर अँधेरा ही अँधेरा
ख़ुदा ने कहा, "रोशनी हो जा"

रोशनी हो गई
रोशनी हो गई
पहला दिन हो गया
रात भी हो गई

ख़ुदा ने इब्तिदा में जमीन-ओ-आसमाँ बनाया
जमीं वीरान थी, जमीं सुनसान थी
था चारों ओर अँधेरा ही अँधेरा
ख़ुदा ने कहा, "रोशनी हो जा"

रोशनी हो गई
रोशनी हो गई
पहला दिन हो गया
रात भी हो गई
उसने कहा, पानी बना, नदियाँ बनी, झरने बने
पत्ते बने, बूटे बने और एक नया समंदर बना
उसको ये सब अच्छा लगा
उसने कहा, सूरज बना, तारे उगे, चंदा बना
पल-छिन हुए, सदियाँ बनी, हर शय को उसने पैदा किया
उसको ये सब अच्छा लगा
और फिर ख़ुदा ने इंसान को
सूरत में अपनी पैदा किया
बरकत भी दी, ताक़त भी दी
"फूलो-फलो", उसने कहा

उसको बहुत अच्छा लगा
उसको बहुत अच्छा लगा
उसको बहुत अच्छा लगा



Credits
Writer(s): Anil Kant
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