Humdard

ना मौत ने किसी को रिहा किया
ना इमारतें जल के जन्नत बनी
ना मौत ने किसी को रिहा किया
ना इमारतें जल के जन्नत बनी

उस दर्द की शुक्रगुज़ार हूँ मैं
जिस दर्द में हम हमदर्द बने

ना मौत ने किसी को रिहा किया
ना इमारतें जल के जन्नत बनी

तक़लीफ़ होगी, बेचैन होंगे
ये रास्ते हैं पथरीले
वो ज़िंदगी की कहानी कैसी
कि बिन लड़े ही जो जी लें

तक़लीफ़ होगी, बेचैन होंगे
ये रास्ते हैं पथरीले
वो ज़िंदगी की कहानी कैसी
कि बिन लड़े ही जो जी लें

'गर ग़म ना हो तो आरज़ू ही क्या?
आरज़ू से ही तो हिम्मत बने
उस दर्द की शुक्रगुज़ार हूँ मैं
जिस दर्द में हम हमदर्द बने

ना मौत ने किसी को रिहा किया
ना इमारतें जल के जन्नत बनी



Credits
Writer(s): Arkapravo Mukherjee
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