Phir Se

फिर से

खिड़की पे आई हैं कुछ बारिशें
हो-हो, भीगी सी लाई हैं संग ख्वाहिशें
फिर से, फिर से

मौसम ने बेइरादा ली करवटें
हो-हो, पानी में लहरों की बढ़ी हरकतें
फिर से, फिर से

फिर से

कुछ आहट सी जब होती है
घबराहट सी फिर होती है
बिन बात के सिरहन सी कुछ होती है

क्या मिलेंगी इस दिल को नई मंज़िलें?
हो-हो, क्या सजेंगी दोबारा वही महफ़िलें?
फिर से, फिर से

फिर से

सपनों में किसी से मिलती हूँ
फिर देर से सो के उठती हूँ
दिन-भर यूँ ही कुछ सोचती रहती हूँ

ये हवाएँ लाई हैं कुछ ख्वाहिशें
हो-हो, बढ़ती सी जा रही हैं मेरी हसरतें
फिर से (फिर से, फिर से, फिर से)
फिर से (फिर से, फिर से, फिर से)

फिर से

फिर से

फिर से



Credits
Writer(s): Rashmi Singh, Jeet Gannguli
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