Pichham Dharasu Mhara (Shringarik Aarti)

पिछम धरा सु म्हारा पीरजी पधारिया,
घर अजमल अवतार लियो,
लाछा सुगना करे हरी री आरती,
हरजी भाटी उबा चवर ढोले,
वैकुंठा में बाबा होवे थारी आरती।।

घिरत मिठाई बाबा चढे थारे चुरमो
धूपा री झंकार उड़े,
लाछा सुगना करे हरी री आरती,
हरजी भाटी उबा चवर ढोले,
वैकुंठा में बाबा होवे थारी आरती।।

गंगा रे जमना बाबा बहे रे सरस्वती,
रामदेवजी बाबो स्नान करे,
लाछा सुगना करे हरी री आरती,
हरजी भाटी उबा चवर ढोले,
वैकुंठा में बाबा होवे थारी आरती।।

दूर देशारा आवे थारे यात्रु,
बावजी री दर्गा आगे निवन करे,
लाछा सुगना करे हरी री आरती,
हरजी भाटी उबा चवर ढोले,
वैकुंठा में बाबा होवे थारी आरती।।

ढोल नगाड़ा धणी रे नोबत बाजे,
झालर री जनकार पड़े
लाछा सुगना करे हरी री आरती,
हरजी भाटी उबा चवर ढोले,
वैकुंठा में बाबा होवे थारी आरती।।

खम्मा खम्मा खम्माओ कंवर अजमाल रा,
घर अजमल अवतार लियो,
लाछा सुगना करे हरी री आरती,
हरजी भाटी उबा चवर ढोले,
वैकुंठा में बाबा होवे थारी आरती।।

हरी शरणा में भाटी हरजी बोले,
नवखंडो में निशान घुंरे,
लाछा सुगना करे हरी री आरती,
हरजी भाटी उबा चवर ढोले,
वैकुंठा में बाबा होवे थारी आरती।।

वारी वारी रे कंवर तपधारी,
जग में ज्योत सवाई जियो,
लाछा सुगना करे हरी री आरती,
हरजी भाटी उबा चवर ढोले,
वैकुंठा में बाबा होवे थारी आरती।।

पिछम धरा सु म्हारा पीरजी पधारिया,
घर अजमल अवतार लियो,
लाछा सुगना करे हरी री आरती,
हरजी भाटी उबा चवर ढोले,
वैकुंठा में बाबा होवे थारी आरती।।



Credits
Writer(s): Traditional, Dinesh Kumar
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