Apni Chaahat to Do

माँग ली मैंने बख्शीश खुदा से
अब तुम ख़ता की इज़ाजत तो दो
बढ़ने लगी है बेताबी दिल की
इस पागल दिल को राहत तो दो

बुझने दो दिल की मेरे तिश्नगी
दे दो मुझको ज़रा इस पल की हर ख़ुशी

सीने से मुझको लगा के चाहत तो दो
इस पागल दिल को राहत तो दो
सीने से मुझको लगा के चाहत तो दो
इस पागल दिल को राहत तो दो

पिघल जाने दो जज़्बात को
इस मखमली जिस्म पर
Hmm, बिखर जाने दो एहसास को
इस शबनमी होंठों पर

सुनलो सुलगती साँसों की आहटें
होने दो पूरी ये दिल की सब हसरतें

इन नशीली आँखों की कुछ सजावट तो दो
इस पागल दिल की राहत तो दो

संभलने ना दे ये दिल मुझको
होने लगा बेसबर
हो, लमहा बड़ा ये खामोश है
कुछ हो रहा है असर

कहता है तुमसे दिल ये मेरा बेज़ुबाँ
बढ़ रही इस क़दर अब तो बेताबियाँ

कह रही नज़दीकियाँ थोड़ी मोहलत तो दो
इस पागल दिल को राहत तो दो
इस पागल दिल को राहत तो दो
इस पागल दिल को राहत तो दो



Credits
Writer(s): Suryaprakash Mahavir Prasad, Chandraprakash Mahavir Prasad, Shaikh Akhtar Nafe
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