Qatl-E-Aam (Unplugged) [From "Raman Raghav 2.0"]

है गनीमत दिल ये पत्थर हो चूका तमाम हैं
है गलिमत दिल ये पत्थर हो चूका तमाम हैं
आपकी आँखों में वरना आज क़त्ल-ए-आम हैं
आपकी आँखों में वरना आज क़त्ल-ए-आम हैं

छोड़ के सारी शरम को शाम की चौखट परे
छोड़ के सारी शरम को शाम की चौखट परे
आइये आ जाइए ये रात इक हमाम हैं
आइये आ जाइए ये रात इक हमाम हैं
आपकी आँखों में वरना आज क़त्ल-ए-आम हैं
आपकी आँखों में वरना आज क़त्ल-ए-आम हैं

हां,, सब सुनाते हैं की हमने हक़ ही क्यूँ तुमको दिया
सब सुनाते हैं की हमने हक़ ही क्यूँ तुमको दिया
जानेजा खुद ही बताये

जाने जा खुद ही बताये ये कोई इलज़ाम हैं
आपकी आँखों में वरना आज क़त्ल-ए-आम हैं
आपकी आँखों में वरना आज क़त्ल-ए-आम हैं

है सराफा दिल का और ये वक़्त बोहनी का हुआ
है सराफा दिल का और ये वक़्त बोहनी का हुआ
लाख के ये चीज़ साहब, कौड़ियो के दाम हैं
लाख के ये चीज़ साहब, कौड़ियो के दाम हैं
आपकी आँखों में वरना आज क़त्ल-ए-आम हैं
आपकी आँखों में वरना आज क़त्ल-ए-आम हैं



Credits
Writer(s): Ram Sampath, Varun Grover
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