Meri Yaad Aayee

मेरी याद आई जुदाई के बाद
(मेरी याद आई जुदाई के बाद)
(मेरी याद आई जुदाई के बाद)

वो रोए बहुत बेवफ़ाई के बाद
मेरी याद आई जुदाई के बाद
(मेरी याद आई जुदाई के बाद)
(मेरी याद आई जुदाई के बाद)

बहुत दूर तक सोचना चाहिए
(बहुत दूर तक सोचना चाहिए)

अपना दिल अपनी तबाही का सबब होता है
अपना दिल अपनी तबाही का सबब होता है
ये जवानी का ज़माना भी अजब होता है
कौन सी बात ने किस शख़्स का दिल तोड़ दिया
बोलने वाले को एहसास ही कब होता है

(बहुत दूर तक सोचना चाहिए)
बहुत दूर तक सोचना चाहिए

बुराई से पहले, बुराई के बाद
(बुराई से पहले, बुराई के बाद)
(बुराई से पहले, बुराई के बाद)

लड़ाई का हासिल बस एक कब्र थी
(लड़ाई का हासिल बस एक कब्र थी)

ख़ुद अपने हक़ के लिए भी...
ख़ुद अपने हक़ के लिए भी झगड़ सके ना कभी
मिज़ाज ऐसा मिला है कि लड़ सके ना कभी

(लड़ाई का हासिल बस एक कब्र थी)
लड़ाई का हासिल बस एक कब्र थी

ज़मीं छोड़ दी मैंने भाई के बाद
(ज़मीं छोड़ दी मैंने भाई के बाद)
(ज़मीं छोड़ दी मैंने भाई के बाद)

अभी राह में हैं समंदर बहुत
(अभी राह में हैं समंदर बहुत)

ना हौसले...
ना हौसले, ना इरादे बदल रहे हैं लोग
थके-थके हैं, मगर फिर भी चल रहे हैं लोग
ना हौसले, ना इरादे बदल रहे हैं लोग
थके-थके हैं, मगर फिर भी चल रहे हैं लोग

वफ़ा, ना प्यार, ना किरदार, ना उसूल कोई
वफ़ा, ना प्यार, ना किरदार, ना उसूल कोई
ना जाने कौन से साँचे में ढल रहे हैं लोग

अभी राह में हैं समंदर बहुत
(अभी राह में हैं समंदर बहुत)

ख़ुदा मत बनो ना-ख़ुदाई के बाद
(ख़ुदा मत बनो ना-ख़ुदाई के बाद)
(ख़ुदा मत बनो ना-ख़ुदाई के बाद)

मकानों को क्या देखते हो, मियाँ?
(मकानों को क्या देखते हो, मियाँ?)

छुप-छुप के एहतिमाम-ए-सफ़र का पता चला
छुप-छुप के एहतिमाम-ए-सफ़र का पता चला
वो मर गया तो उसके हुनर का पता चला

और जब एक-एक फूल उड़ा ले गई हवा
जब एक-एक फूल उड़ा ले गई हवा
उस दिन बहार को मेरे घर का पता चला

(मकानों को क्या देखते हो, मियाँ?)
मकानों को क्या देखते हो, मियाँ?

खंडहर हो गया मैं लड़ाई के बाद
(खंडहर हो गया मैं लड़ाई के बाद)
(खंडहर हो गया मैं लड़ाई के बाद)

ये दुनिया है क़ैसर, सँभल कर चलो
(ये दुनिया है क़ैसर, सँभल कर चलो)

तेरे ख़याल से, तेरी गली से बच जाता
तेरे ख़याल से, तेरी गली से बच जाता
तो सारे शहर की मैं दुश्मनी से बच जाता

अगर गुनाह का मौक़ा गँवा दिया होता
अगर गुनाह का मौक़ा गँवा दिया होता
तो मैं ज़मीर की शर्मिंदगी से बच जाता

(ये दुनिया है क़ैसर, सँभल कर चलो)
ये दुनिया है क़ैसर, सँभल कर चलो

कहाँ जाओगे जग-हँसाई के बाद?
(कहाँ जाओगे जग-हँसाई के बाद?)
(कहाँ जाओगे जग-हँसाई के बाद?)

वो रोए बहुत बेवफ़ाई के बाद
मेरी याद आई जुदाई के बाद
(मेरी याद आई जुदाई के बाद)
(मेरी याद आई जुदाई के बाद)



Credits
Writer(s): Qaisar Jaffari, Mohd. Shafi Niyazi
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