Aaina Mujhse Mere

आईना मुझसे मेरी पहली सी सूरत माँगे

आईना मुझसे मेरी पहली सी सूरत माँगे
आईना मुझसे मेरी पहली सी सूरत माँगे
मेरे अपने मेरे होने की निशानी माँगे
आईना मुझसे मेरी पहली सी सूरत माँगे

मैं भटकता ही रहा दर्द के वीराने में
वक़्त लिखता रहा चेहरे पे हर पल का हिसाब
मेरी शोहरत, मेरी दीवानगी की नज़र हुई
पी गई मय की बोतल मेरे गीतों की किताब
आज लौटा हूँ तो हँसने की अदा भूल गया
ये शहर भुला मुझे, मैं भी इसे भूल गया

मेरे अपने मेरे होने की निशानी माँगे
आईना मुझसे मेरी पहली सी सूरत माँगे

मेरा फ़न फिर मुझे बाज़ार में ले आया है
ये वो जहाँ है कि जहाँ मेहर-ओ-वफ़ा बिकते हैं
बाप बिकते हैं और लख़्त-ए-जिगर बिकते हैं
कोख बिकती है, दिल बिकते हैं, सर बिकते हैं
इस बदलती हुई दुनिया का ख़ुदा कोई नहीं
सस्ते दामों में हर रोज़ ख़ुदा बिकते हैं, बिकते हैं, बिकते हैं

मेरे अपने मेरे होने की निशानी माँगे
आईना मुझसे मेरी पहली सी सूरत माँगे

हर ख़रीदार को बाज़ार में बिकता पाया
हम क्या पाएँगे, किसी ने यहाँ क्या पाया
मेरे एहसास, मेरे फूल कहीं और चले
बोल पूजा, मेरी बच्ची, कहीं और चलें
और चलें, और चलें



Credits
Writer(s): Nagrath Rajesh Roshan, Suraj Sanim
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