Holi (From "Naihar Ke Mado Piya Ki Chunari")

(होली है!)

(एक संवरकी, एक है गोरकी, दूनू खड़ी दुआरी)
(अइहें सजनवा, रंगिहें बदनवा, जोहे आपन बारी)

होय, बोलऽ, स-र-र-र, स-र-र-र बोलऽ
कि गोरिया के भींजे चोलिया (होली है!)
ओ, बोलऽ, स-र-र-र, स-र-र-र बोलऽ
कि गोरिया के भींजे चोलिया

भंगिया धतूरवा जमाई देई रंगवा
(अरे, ए भइया, पीसऽ हो, पीसऽ) अरे, का पीसऽ रे
भंगिया धतूरवा जमाई देई रंगवा

अब भरी-भरी मारे पिचकारी
कि गोरिया के भींजे अंगिया
(अब भरी-भरी मारे पिचकारी) होय, होय
हे, गोरिया के भींजे अंगिया

होय, रंग-गुलाल लगाइके, भइया, सबसे जियरा मिलावऽ
होली के ई खुसहाली, अरे, घर-घर तू चँहुपावऽ
प्रेम अबीरा ले के लोगवा जल्दी-जल्दी आवऽ
घेर-घार के, उलट-पुलट के गोरी के नहवावऽ

तनी रची-रची... (होली है!)
ओए, तनी रची-रची अइसे रंग रंगवा
कि थके धोवत धोबिया

(होरिया खेले रघुवीरा अवध में)
(होरिया खेले रघुवीरा)
(जेतना चटक दूनू घर में ई रंग बा)
(उतने चटक बा अबीरा)

(होरिया खेले रघुवीरा अवध में)
(होरिया खेले रघुवीरा)
(जेतना चटक दूनू घर में ई रंग बा)
(उतने चटक बा अबीरा)

(स-र-र-र-र-र, बोलऽ, स-र-र-र-र-र)

ए, रंग-बिरंगा मेला देखो सबके मन हरसाए
प्रेम छुवन से देखो, भइया, मनवा भरी-भरी जाए
भोग लगाई के शिव शंकर के परसादी बँटवाए
चौतरफा सब झुमे-नाचे, हमरो पाँव लहराए

(होली है!)

प्रभु लीलाधर, एतना तू करिहऽ कि कबहूँ ना कटे नइया
अब भरी-भरी मारे पिचकारी
गोरिया के भींजे अंगिया

ए, भंगिया धतूरवा जमाई देई रंगवा
भंगिया धतूरवा जमाई देई रंगवा, हाय-हाय

अब भरी-भरी मारे पिचकारी
कि गोरिया के भींजे अंगिया
होय, होय, कि गोरिया के भींजे अंगिया

अरे, का हो भउजी?
अरे, कहाँ जात रही हमसे बच के?
अरे, तनिक इहाँ आवऽ, इहाँ आवऽ, भउजी, ha-ha-ha-ha
होय, होय, होय, होय, होरी है



Credits
Writer(s): Bapi Saleem, Anmol Panday
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