Lekin


आँखों में बस जाओ न
दिल को मिले कुछ शुकुन हूँ.
हाँ, तुम थाम लो न आ के दिल
अंधेरों में न हो जाए कम
लेकिन बेकार की बातें हैं ये
जाने भी दो
मेरे पास, ख्वाबों भरी रातें तो हैं अब रोने को
लेकिन रोने से क्या? जब तू मुझे समझे नहीं
लेकिन रोए बिना, दिल ये मेरा समहले नहीं
हाँ.
मैं चाहता हूँ तुम्हे
डर न मुझे इस जहां का हाँ
थी अपनी कई मंजिलें
न था पता इस समा का
लेकिन सब मंजिलें
थी सामने तुम क्यूँ रूके?
लेकिन मैं चलता रहा
मेरे कदम क्यूँ न रूके?
लेकिन मुड़ के तुम्हें देखा तो जब मेनें नहीं
लेकिन पल भर को भी मेरे लिए तुम नहीं...
ओ...
नीदों के उस पार किए हो बसेरा
सपना ही टूट जाए कहीं न ये मेरा हाँ
नजरों से कर दो नूर कि छाया अंधेरा
लेकिन बेकार की बातें हैं ये जीने भी दो
मेरे पीस ख्वाबों परी रातें तो है अब रोने को
लेकिन कुछ ख्वाब तो, भूले से भी भूले नहीं
लेकिन ये प्यार था मेरा जिसे तुम समझे नहीं



Credits
Writer(s): Sami Khan
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