Kuch Iss Tarah (From "1921")

कुछ इस तरह, कुछ इस तरह
ऐ रात, थम ज़रा कुछ इस तरह

कुछ इस तरह, कुछ इस तरह
ऐ रात, थम ज़रा कुछ इस तरह
दो जिस्म से एक जान में
ढल जाएँ हम ज़रा कुछ इस तरह

ये जो चाँद एक लकीर सा है आसमान पर
यूँ ही आँख में मेरी रहे चमकता रात भर
ऐ बादलों, ज़रा सी तुमसे इल्तिजा है ये
फ़ना ना हों उम्मीद के सितारे डूबकर

कुछ इस तरह, कुछ इस तरह
ऐ रात, थम ज़रा कुछ इस तरह
दो जिस्म से एक जान में
ढल जाएँ हम ज़रा कुछ इस तरह

अलविदा हमको कहे मुस्कुरा के मौत भी
थोड़ी सी साँसें छुपा ले सीने में कहीं
जी ले आ एक रात में उम्र भर की ज़िंदगी
कोई भी पल रह ना जाए जीने में कहीं

कुछ इस तरह, कुछ इस तरह
ऐ रात, थम ज़रा कुछ इस तरह
दो जिस्म से एक जान में
ढल जाएँ हम ज़रा कुछ इस तरह

रूह की परवाज़ पे हैं परिंदे इश्क़ के
हमको चाहत की नज़र से देख आसमाँ
आँख में जो अश्क हैं, चाँद को भी रश्क है
लिख रहे हैं प्यार की हम ऐसी दास्ताँ

कुछ इस तरह, कुछ इस तरह
ऐ रात, थम ज़रा कुछ इस तरह
दो जिस्म से एक जान में
ढल जाएँ हम ज़रा कुछ इस तरह



Credits
Writer(s): Shakeel Azmi, Harish Sagane
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