Yeh Daagh Daagh Ujala (with Dialogues)

वो इंतिज़ार था जिस का ये वो सहर तो नहीं
ये दाग़ दाग़ उजाला

ये वो सहर तो नहीं जिस की आरज़ू ले कर
चले थे यार कि मिल जाएगी कहीं न कहीं
वो इंतिज़ार था जिस का ये वो सहर तो नहीं
ये दाग़ दाग़ उजाला

बहुत अज़ीज़ थी लेकिन रुख़-ए-सहर की लगन
बहुत क़रीं था हसीनान-ए-नूर का दामन
सुबुक सुबुक थी तमन्ना दबी दबी थी थकन
वो इंतिज़ार था जिस का ये वो सहर तो नहीं
ये दाग़ दाग़ उजाला

अभी गरानीय-ए-शब में कमी नहीं आई
नजात-ए-दीदा-ओ-दिल की घड़ी नहीं आई
चले-चलो कि वो मंज़िल अभी नहीं आई
वो इंतिज़ार था जिस का ये वो सहर तो नहीं
ये दाग़ दाग़ उजाला



Credits
Writer(s): Faiz Ahmed Faiz, Ghulam Mustafa Khan
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