Zindagi Hai Tadapna

ज़िंदगी है तड़पना
तड़पना है ज़िंदगी
फिर क्यों जिए जा रहे हैं?
ऐ ख़ुदा, तू ही समझना

ज़िंदगी है तड़पना
तड़पना है ज़िंदगी
फिर क्यों जिए जा रहे हैं?
ऐ ख़ुदा, तू ही समझना
ज़िंदगी...

सोचा था ये बहारें हैं हमारे ही लिए
सोचा था ये बहारें हैं हमारे ही लिए
जन्नत की सारी राहें हैं हमारे ही लिए

फिर क्यों भरी हैं आहें
ऐ ख़ुदा, तू ही समझना

ज़िंदगी है तड़पना
तड़पना है ज़िंदगी
फिर क्यों जिए जा रहे हैं?
ऐ ख़ुदा, तू ही समझना
ज़िंदगी...

हमने ये क्यों ना समझा दुख से भरा जहाँ है?
हमने ये क्यों ना समझा दुख से भरा जहाँ है?
सब ढूँढते हैं ख़ुशियाँ, मिलता है ग़म यहाँ पे

इस अजीब दास्ताँ को
ऐ ख़ुदा, तू ही समझना

ज़िंदगी है तड़पना
तड़पना है ज़िंदगी
फिर क्यों जिए जा रहे हैं?
ऐ ख़ुदा, तू ही समझना
ज़िंदगी...



Credits
Writer(s): Chandru
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