Raat Ka Aayina

मैं, क्या कहूँ?
मैं, क्या सुनूँ?
मैं बेरंग था? या फिर दुनिया के रंग और, और ही हैं?

मैं बेढंग था? या फिर दुनिया के तौर-तरीके और, और ही हैं?

रात का आईना और बस मैं
चलो फिर डूबकी हम ख्यालों में लगायें
रात का आईना और बस मैं
चलो फिर डूबकी हम ख्यालों में लगायें

था मैं बेमतलब? या मतलब सिर्फ तुमने है ना समझा
था मैं बेपरवाह? या ज़िंदगी को तुम ना कह पाये
थम जा

रात का आईना और बस मैं
चलो फिर डूबकी हम ख्यालों में लगायें
रात का आईना और बस मैं
चलो फिर डूबकी हम ख्यालों में लगायें

देखूँ तुझको खुद में, तुझमें कुद को देखूँ मैं
देखूँ तुझको खुद में, तुझमें कुद को देखूँ मैं
रात के अंधेरे में खुद को ढूंढूँ मैं

रात का आईना और बस मैं
चलो फिर डूबकी हम ख्यालों में लगायें
रात का आईना और बस मैं (हो, हो)
चलो फिर डूबकी हम ख्यालों में लगायें (हो, हो, हो)
आ, ओ



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