Aashish Baalak

मैं एक छोटा सा बालक हुँ साईं
रस्ता शिर्डी का भुला हुआ हुँ
याद आती मुझे शिर्डी की
इसलिए बाबा रोने लगा हुँ
हर तरफ जुल्म हैं बेबसी हैं
बेकरारी बड़ी बेकसी हैं
आप आकर के रस्ता दिखा दो
मैं ज़माने में खोने लगा हुँ
याद आती मुझे शिर्डी की
इसलिए बाबा रोने लगा हुँ
मेरे हालात पर अब करर्मकर
मेरे साईं तू अपनी नज़र कर
गम की चादर को ओढे हुए मैं
सर्द रातों में सोने लगा हुँ
याद आती मुझे शिर्डी की
इसलिए बाबा रोने लगा हुँ
आपका ही सहारा हैं मुझको
आपको ही पुकारूँगा मैं तो
पलकें भींगी है साईं आशिष की
आंसुओ में नहाने लगा हुँ
याद आती मुझे शिर्डी की
इसलिए बाबा रोने लगा हुँ



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