O Raat Ke Musafir

ओ, रात के मुसाफ़िर

ओ, रात के मुसाफ़िर
पल-भर को दम तो ले-ले
होते हैं दो घड़ी के
ये ज़िंदगी के मेले
ओ, रात के मुसाफ़िर

बेहोश है ज़माना, हर कोई बेख़बर है
ख़ाबों की वादियों में सोई हुई सहर है
ऐ, चाँदनी के मालिक, उनको जगा ना देना
तारों की जगमगाती शम्मे बुझा ना देना

दिल ही में रह ना जाए
अरमाँ हमारे दिल के
ओ, रात के मुसाफ़िर

चंदा, क़सम है तुझको तेरी ही चाँदनी की
चंदा, क़सम है तुझको तेरी ही चाँदनी की
कुछ देर और थम जा
अपनी जगह पे जम जा
अपनी जगह पे जम जा

इस रात का कभी तू
होने ना दे सँवेरा
ये रात कल जो हम ने
माँगी है ज़िंदगी से

ओ, रात के मुसाफ़िर
पल-भर को दम तो ले-ले
होते हैं दो घड़ी के
ये ज़िंदगी के मेले
ओ, रात के मुसाफ़िर



Credits
Writer(s): Rajinder Krishan, Hemant Kumar
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