Aane Ko Hai Khaab

आने को हैं ख्वाब, ठहरा दी हैं नींदें
आने को हैं ख्वाब, रातों ने दिन के बिस्तर साटे हैं
पलकों को गड़ा, जाने कब से जागे हैं!
आने को हैं ख्वाब, बाकी हैं नींदें
आने को हैं ख्वाब

जली है, रखी है, आँच है जो छू लूँगी
तभी से रखी है, यादें सुबह की
आस में रातें साथ जगती थी
रोज़ इंतज़ार में चाँद भी कुतरती थी
बाकी है, बाकी है, सारी ये ख्वाबों की पारी
आधी रात जल गई
नींदें भी जो पिघल गई, हाँ
आने को हैं ख्वाब, ठहरा दी हैं नींदें
आने को हैं ख्वाब

इंतज़ार है
इंतज़ार है
इंतज़ार है
इंतज़ार है



Credits
Writer(s): Kanishk Seth
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