Pahadan

निकले थे दुनिया में अपनी
सोचा कि भूलेंगे उसको
वादी भी कहती थी उसकी
खुश्बू में ढूंढोगो मुझको

पत्तों में ओस हमेशा
नदियाँ मदहोश हमेशा
ऐसा-सा था उसका गाँव
पास आ घेरे बादल
आँखों में डाले काजल
करते वो ठंडी सी छाँव

मैं गुम सा था अब होश आ गया
कोई अपना सा फिर याद आ गया
और भूल के सारी दुनिया
पहाड़न की गलियाँ गया
पहाड़न की गलियाँ गया
पहाड़न की गलियाँ गया
पहाड़न की गलियाँ गया

उसकी गली के पराठों संग
चाय की नदियाँ बही
तसले की आग में
रोज़ ही यादें भुनी

उसकी गली के पराठों संग
चाय की नदियाँ बही
तसले की आग में
रोज़ ही यादें भुनी

आज नेगी और रावत भी आ गया
लाल परी के संग ठाकुर भी छा गया
हाँ भूल के सारी दुनिया

पहाड़न की गलियाँ गया
पहाड़न की गलियाँ गया
पहाड़न की गलियाँ गया
पहाड़न की गलियाँ गया

पत्तों में ओस हमेशा
नदियाँ मदहोश हमेशा
ऐसा-सा था उसका गाँव
पास आ घेरे बादल
आँखें बस माँगे काजल
करते वो ठंडी सी छाँव

हो भूल के सारी दुनिया
पहाड़न की गलियाँ गया



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