Bhool Sakta Hai Bhala Kaun Tumhari Aankhen

भूल सकता है भला कौन ये प्यारी आँखें
रंग में डूबी हुई नींद से भारी आँखें
भूल सकता है भला कौन

मेरी हर साँस ने, हर सोच ने चाहा है तुम्हें
जब से देखा है तुम्हें, तब से सराहा है तुम्हेँ
बस गई हैं मेरी आँखों में तुम्हारी आँखें
रंग में डूबी हुई नींद से भारी आँखें
भूल सकता है भला कौन

तुम जो नज़रों को उठाओ तो सितारे झुक जाएँ
तुम जो पलकों को झुकाओ तो ज़माने रुक जाएँ
क्यों न बन जाएँ इन आँखों की पुजारी ऑंखें
रंग में डूबी हुई नींद से भारी आँखें
भूल सकता है भला कौन

जागती रातों को सपनों का ख़ज़ाना मिल जाए
तुम जो मिल जाओ तो जीने का बहाना मिल जाए
अपनी क़िस्मत पे करें नाज़ हमारी आँखें

भूल सकता है भला कौन ये प्यारी आँखें
रंग में डूबी हुई नींद से भारी आँखें
भूल सकता है भला कौन



Credits
Writer(s): Sahir Ludhianvi, Dutta N
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