Om Shri Sainathaya Namah 108 Times

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान

(जय भोलेनाथ, जय भोलेनाथ)
(जय भोलेनाथ, जय भोलेनाथ)

जय गिरिजा पति दीन दयाला, सदा करत सन्तन प्रतिपाला
भाल चन्द्रमा सोहत नीक, कानन कुण्डल नागफनी के
अंग गौर शिर गंग बहाय, मुण्डमाल तन छार लगाए
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे, छवि को देख नाग मुनि मोहे

(जय भोलेनाथ, जय भोलेनाथ, जय भोलेनाथ)

मैना मातु की ह्वै दुलार, बाम अंग सोहत छवि न्यारी
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी, करत सदा शत्रुन क्षयकारी
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे, सागर मध्य कमल हैं जैसे
कार्तिक श्याम और गणराऊ, या छवि को कहि जात न काऊ

(जय भोलेनाथ, जय भोलेनाथ, जय भोलेनाथ)

देवन जबहीं जाय पुकारा, तब ही दुःख प्रभु आप निवारा
किया उपद्रव तारक भारी, देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी
तुरत षडानन आप पठायउ, लवनिमेष महँ मारि गिरायउ
आप जलंधर असुर संहारा, सुयश तुम्हार विदित संसारा
(जय भोलेनाथ, जय भोलेनाथ, जय भोलेनाथ)

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई, सबहिं कृपा कर लीन बचाई
किया तपहिं भागीरथ भारी, पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं, सेवक स्तुति करत सदाहीं
वेद माही महिमा तव गाई, अकथ अनादि भेद नहीं पाई
(जय भोलेनाथ, जय भोलेनाथ, जय भोलेनाथ)

प्रगटी उदधि मंथन में ज्वाला, जरे सुरासुर भये विहाला
कीन्ह दया तहँ करी सहाई, नीलकण्ठ तब नाम कहाई
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा, जीत के लंक विभीषण दीन्हा
सहस कमल में हो रहे धारी, कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी
(जय भोलेनाथ, जय भोलेनाथ, जय भोलेनाथ)

एक कमल प्रभु राखेउ जोई, कमल नयन पूजन चहं सोई
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर, भये प्रसन्न दिए इच्छित वर
जय-जय-जय अनंत अविनाशी, करत कृपा सब के घटवासी
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै, भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै
(जय भोलेनाथ, जय भोलेनाथ, जय भोलेनाथ)

त्राहि-त्राहि मैं नाथ पुकारो, यहि अवसर मोहि आन उबारो
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो, संकट ते मोहि आन उबारो
मात-पिता भ्राता सब होई, संकट में पूछत नहींं कोई
स्वामी एक है आस तुम्हारी, आय हरहु ममः संकट भारी
(जय भोलेनाथ, जय भोलेनाथ, जय भोलेनाथ)

धन निर्धन को देत सदाहीं, जो कोई जांचे सो फल पाहीं
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी, क्षमहु नाथ अब चूक हमारी
शंकर हो संकट के नाशन, विघ्न विनाशन मंगल कारण
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं, नारद शारद शीश नवावैं
(जय भोलेनाथ, जय भोलेनाथ, जय भोलेनाथ)

नमो-नमो, जय नमो शिवाय, सुर ब्रह्मादिक पार न पाय
जो यह पाठ करे मन लाई, ता पार होत है शम्भु सहाई
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी, पाठ करे सो पावन हारी
संतति होन कर इच्छा कोई, निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई
(जय भोलेनाथ, जय भोलेनाथ, जय भोलेनाथ)

पण्डित त्रयोदशी को लावे, ध्यान पूर्वक होम करावे
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा, तन नहीं ताके रहे कलेशा
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे, शंकर सम्मुख पाठ सुनावे
जन्म-जन्म के पाप नसावे, अंतधाम शिवपुर में पावे
कहत अयोध्या आस तुम्हारी, जानि सकल दुःख हरहु हमारी
(जय भोलेनाथ, जय भोलेनाथ, जय भोलेनाथ)

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीस
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश
आ, पूर्ण करो जगदीश



Credits
Writer(s): Sanjeevani Bhelande
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