Tum To Thehre Pardesi, Pt. 2
तुम तो ठहरे परदेसी
तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे
(तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे)
(तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे)
तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे
(तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे)
तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे
सुबह पहली, सुबह पहली...
Aye, सुबह पहली गाड़ी से घर को लौट जाओगे
(सुबह पहली गाड़ी से घर को लौट जाओगे)
तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे
मेरे दिल को दिलबर, तुम क्या पतंग समझे हो?
(मेरे दिल को दिलबर, तुम क्या पतंग समझे हो?)
नज़र मिला के जो अक्सर...
नज़र मिला के जो अक्सर नज़र चुराते थे
जो मुँह छुपा के दुपट्टे में मुस्कुराते थे
सुना है आजकल उड़ते हैं वो हवाओं में
सुना है आजकल उड़ते हैं वो हवाओं में
हमारी छत पे कभी जो पतंग उड़ाते थे
(मेरे दिल को दिलबर, तुम क्या पतंग समझे हो?)
मेरे दिल को दिलबर, तुम क्या पतंग समझे हो?
जिस तरह भी, जिस तरह भी...
Aye, जिस तरह भी चाहोगे उस तरह उड़ाओगे
(जिस तरह भी चाहोगे उस तरह उड़ाओगे)
तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे
तितलियों को भी शिकवा तुम से है गुलिस्ताँ में
(तितलियों को भी शिकवा तुम से है गुलिस्ताँ में)
तुम्हारा हुस्न-ए-मुजस्सम...
तुम्हारा हुस्न-ए-मुजस्सम गुलाब जैसा है
बहार ख़ुद भी यही एतिराफ़ करती है
अब इससे बढ़ के भला...
अब इससे बढ़ के भला और क्या करूँ तारीफ़
Aye, तुम्हारे चेहरे का तितली तवाफ़ करती है
(तितलियों को भी शिकवा तुम से है गुलिस्ताँ में)
तितलियों को भी शिकवा तुम से है गुलिस्ताँ में
फूल सा, hey, फूल सा...
हाँ, फूल सा बदन हम से कब तलक बचाओगे?
(फूल सा बदन हम से कब तलक बचाओगे?)
तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे
सा सा रे गा मा गा रे सा, सा सा रे गा मा गा रे सा
सा रे सा रे सा रे सा रे सा नि
Hey, रे रे गा मा पा मा गा रे, रे रे गा मा पा मा गा रे
रे गा रे गा रे गा रे गा रे सा
हुस्न है गुलाबों का, कपड़े भी गुलाबी हैं
(हुस्न है गुलाबों का, कपड़े भी गुलाबी हैं)
ना ऐसी दिलकशी...
ना ऐसी दिलकशी रंगीन मंज़र से निकलती है
शहर की सड़कों पे लेकिन मुक़द्दर से निकलती है
जो देखे उसकी आँखों में...
जो देखे उसकी आँखों में, हज़ारों फूल खिलते हैं
पहनकर जब गुलाबी कपड़े वो घर से निकलती
(हुस्न है गुलाबों का, कपड़े भी गुलाबी हैं)
हुस्न है गुलाबों का, कपड़े भी गुलाबी हैं
इन गुलाबी, इन गुलाबी...
अरे, इन गुलाबी शोलों से कितने दिल जलाओगे?
(इन गुलाबी शोलों से कितने दिल जलाओगे?)
तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे
मुझ को मेरी तस्वीरें हो सके तो लौटा दो
(मुझ को मेरी तस्वीरें हो सके तो लौटा दो)
तूफ़ान आँसुओं की...
तूफ़ान आँसुओं की रवानी में दे गया
वो ऐसा दर्द मुझ को जवानी में दे गया
मुझ से बिछड़ के ख़ुद भी वो रोया था, इसलिए...
मुझ से बिछड़ के ख़ुद भी वो रोया था, इसलिए...
भीगा हुआ रुमाल निशानी में दे गया
(मुझ को मेरी तस्वीरें हो सके तो लौटा दो)
मुझ को तो बाँध लिया...
मुझ को तो बाँध लिया ज़ुल्फ़ की ज़ंजीरों से
मुझ से मिल जाते हो आकर कई तकबीरों से
उनको घर वालों से किस तरह रखोगे महफ़ूज?
राज़ खुल जाएगा एक दिन मेरी तस्वीरों से
(मुझ को मेरी तस्वीरें हो सके तो लौटा दो)
मुझ को मेरी तस्वीरें हो सके तो लौटा दो
तुम उन्हें, तुम उन्हें...
Aye, तुम उन्हें किताबों में कब तलक छुपाओगे?
(तुम उन्हें किताबों में कब तलक छुपाओगे?)
तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे
मेरी आहें और नाले रंग लाएँगे एक दिन
(मेरी आहें और नाले रंग लाएँगे एक दिन)
मेरी आहें और नाले रंग लाएँगे एक दिन, कैसे?
तुम ने कहा था मुझ से...
तुम ने कहा था मुझ से, "अब जनवरी में मिलना
मेरे मकाँ के पीछे पतली गली में मिलना"
लेकिन वो जनवरी में तुम को बुखार आया
फ़िर फ़रवरी तलक ना तुम को क़रार आया
जब उसके बाद आया था मार्च का महीना
भेजा था तुम ने मुझ को पैग़ाम ये, हसीना
अप्रैल में शाहज़ादा आएगा अमरीका से
तुम बन के उसकी दुल्हन जाओगी India से
एक रोज़ कह रहा था मुझ से तुम्हारा भाई
"मई में तुम्हारी होगी शहज़ादे से सगाई"
मई में हुई सगाई, और माह-ए-जून आया
आँसू के बदले मेरी आँखों में खून आया
तनहाई के सफ़र में फ़िर आ गया जुलाई
एक बार भी मगर तुम मुझ से ना मिलने आई
अगस्त में सुना कि होगी तुम्हारी शादी
फिर इस ख़बर ने दिल पर एक चोट सी लगा दी
इस तरह ज़िंदगी में बढ़ने लगी थी उलझन
माह-ए-सितंबर आया, तुम बन गई थी दुल्हन
दिल के नगर में अंधा क़ानून हो रहा था
शिमला में अक्टूबर में honeymoon हो रहा था
दिन-रात कटते-कटते आ ही गया नवंबर
तैयारियाँ सफ़र की होने लगी बराबर
और आया जब दिसंबर, तुम हो गई रवाना
गलियों में फिर रहा था मैं बन के एक दीवाना
अब मैंने ये सुना है, तुम उससे भी जुदा हो
(अब मैंने ये सुना है, तुम उससे भी जुदा हो)
(अब मैंने ये सुना है, तुम उससे भी जुदा हो)
अब मैंने ये सुना है, तुम उससे भी जुदा हो
तुम बेवफ़ा थी पहले, तुम अब भी बेवफ़ा हो
(तुम बेवफ़ा थी पहले, तुम अब भी बेवफ़ा हो)
(तुम बेवफ़ा थी पहले, तुम अब भी बेवफ़ा हो)
मेरी आहें और नाले...
मेरी आहें और नाले रंग लाएँगे एक दिन
तोड़कर, तोड़कर...
Hey, तोड़कर मेरे दिल को, तुम सुकूँ ना पाओगे
(तोड़कर मेरे दिल को, तुम सुकूँ ना पाओगे)
(तोड़कर मेरे दिल को, तुम सुकूँ ना पाओगे)
तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे
(तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे)
सुबह पहली गाड़ी से घर को लौट जाओगे
(सुबह पहली गाड़ी से घर को लौट जाओगे)
तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे
तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे
(तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे)
(तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे)
तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे
(तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे)
तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे
सुबह पहली, सुबह पहली...
Aye, सुबह पहली गाड़ी से घर को लौट जाओगे
(सुबह पहली गाड़ी से घर को लौट जाओगे)
तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे
मेरे दिल को दिलबर, तुम क्या पतंग समझे हो?
(मेरे दिल को दिलबर, तुम क्या पतंग समझे हो?)
नज़र मिला के जो अक्सर...
नज़र मिला के जो अक्सर नज़र चुराते थे
जो मुँह छुपा के दुपट्टे में मुस्कुराते थे
सुना है आजकल उड़ते हैं वो हवाओं में
सुना है आजकल उड़ते हैं वो हवाओं में
हमारी छत पे कभी जो पतंग उड़ाते थे
(मेरे दिल को दिलबर, तुम क्या पतंग समझे हो?)
मेरे दिल को दिलबर, तुम क्या पतंग समझे हो?
जिस तरह भी, जिस तरह भी...
Aye, जिस तरह भी चाहोगे उस तरह उड़ाओगे
(जिस तरह भी चाहोगे उस तरह उड़ाओगे)
तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे
तितलियों को भी शिकवा तुम से है गुलिस्ताँ में
(तितलियों को भी शिकवा तुम से है गुलिस्ताँ में)
तुम्हारा हुस्न-ए-मुजस्सम...
तुम्हारा हुस्न-ए-मुजस्सम गुलाब जैसा है
बहार ख़ुद भी यही एतिराफ़ करती है
अब इससे बढ़ के भला...
अब इससे बढ़ के भला और क्या करूँ तारीफ़
Aye, तुम्हारे चेहरे का तितली तवाफ़ करती है
(तितलियों को भी शिकवा तुम से है गुलिस्ताँ में)
तितलियों को भी शिकवा तुम से है गुलिस्ताँ में
फूल सा, hey, फूल सा...
हाँ, फूल सा बदन हम से कब तलक बचाओगे?
(फूल सा बदन हम से कब तलक बचाओगे?)
तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे
सा सा रे गा मा गा रे सा, सा सा रे गा मा गा रे सा
सा रे सा रे सा रे सा रे सा नि
Hey, रे रे गा मा पा मा गा रे, रे रे गा मा पा मा गा रे
रे गा रे गा रे गा रे गा रे सा
हुस्न है गुलाबों का, कपड़े भी गुलाबी हैं
(हुस्न है गुलाबों का, कपड़े भी गुलाबी हैं)
ना ऐसी दिलकशी...
ना ऐसी दिलकशी रंगीन मंज़र से निकलती है
शहर की सड़कों पे लेकिन मुक़द्दर से निकलती है
जो देखे उसकी आँखों में...
जो देखे उसकी आँखों में, हज़ारों फूल खिलते हैं
पहनकर जब गुलाबी कपड़े वो घर से निकलती
(हुस्न है गुलाबों का, कपड़े भी गुलाबी हैं)
हुस्न है गुलाबों का, कपड़े भी गुलाबी हैं
इन गुलाबी, इन गुलाबी...
अरे, इन गुलाबी शोलों से कितने दिल जलाओगे?
(इन गुलाबी शोलों से कितने दिल जलाओगे?)
तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे
मुझ को मेरी तस्वीरें हो सके तो लौटा दो
(मुझ को मेरी तस्वीरें हो सके तो लौटा दो)
तूफ़ान आँसुओं की...
तूफ़ान आँसुओं की रवानी में दे गया
वो ऐसा दर्द मुझ को जवानी में दे गया
मुझ से बिछड़ के ख़ुद भी वो रोया था, इसलिए...
मुझ से बिछड़ के ख़ुद भी वो रोया था, इसलिए...
भीगा हुआ रुमाल निशानी में दे गया
(मुझ को मेरी तस्वीरें हो सके तो लौटा दो)
मुझ को तो बाँध लिया...
मुझ को तो बाँध लिया ज़ुल्फ़ की ज़ंजीरों से
मुझ से मिल जाते हो आकर कई तकबीरों से
उनको घर वालों से किस तरह रखोगे महफ़ूज?
राज़ खुल जाएगा एक दिन मेरी तस्वीरों से
(मुझ को मेरी तस्वीरें हो सके तो लौटा दो)
मुझ को मेरी तस्वीरें हो सके तो लौटा दो
तुम उन्हें, तुम उन्हें...
Aye, तुम उन्हें किताबों में कब तलक छुपाओगे?
(तुम उन्हें किताबों में कब तलक छुपाओगे?)
तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे
मेरी आहें और नाले रंग लाएँगे एक दिन
(मेरी आहें और नाले रंग लाएँगे एक दिन)
मेरी आहें और नाले रंग लाएँगे एक दिन, कैसे?
तुम ने कहा था मुझ से...
तुम ने कहा था मुझ से, "अब जनवरी में मिलना
मेरे मकाँ के पीछे पतली गली में मिलना"
लेकिन वो जनवरी में तुम को बुखार आया
फ़िर फ़रवरी तलक ना तुम को क़रार आया
जब उसके बाद आया था मार्च का महीना
भेजा था तुम ने मुझ को पैग़ाम ये, हसीना
अप्रैल में शाहज़ादा आएगा अमरीका से
तुम बन के उसकी दुल्हन जाओगी India से
एक रोज़ कह रहा था मुझ से तुम्हारा भाई
"मई में तुम्हारी होगी शहज़ादे से सगाई"
मई में हुई सगाई, और माह-ए-जून आया
आँसू के बदले मेरी आँखों में खून आया
तनहाई के सफ़र में फ़िर आ गया जुलाई
एक बार भी मगर तुम मुझ से ना मिलने आई
अगस्त में सुना कि होगी तुम्हारी शादी
फिर इस ख़बर ने दिल पर एक चोट सी लगा दी
इस तरह ज़िंदगी में बढ़ने लगी थी उलझन
माह-ए-सितंबर आया, तुम बन गई थी दुल्हन
दिल के नगर में अंधा क़ानून हो रहा था
शिमला में अक्टूबर में honeymoon हो रहा था
दिन-रात कटते-कटते आ ही गया नवंबर
तैयारियाँ सफ़र की होने लगी बराबर
और आया जब दिसंबर, तुम हो गई रवाना
गलियों में फिर रहा था मैं बन के एक दीवाना
अब मैंने ये सुना है, तुम उससे भी जुदा हो
(अब मैंने ये सुना है, तुम उससे भी जुदा हो)
(अब मैंने ये सुना है, तुम उससे भी जुदा हो)
अब मैंने ये सुना है, तुम उससे भी जुदा हो
तुम बेवफ़ा थी पहले, तुम अब भी बेवफ़ा हो
(तुम बेवफ़ा थी पहले, तुम अब भी बेवफ़ा हो)
(तुम बेवफ़ा थी पहले, तुम अब भी बेवफ़ा हो)
मेरी आहें और नाले...
मेरी आहें और नाले रंग लाएँगे एक दिन
तोड़कर, तोड़कर...
Hey, तोड़कर मेरे दिल को, तुम सुकूँ ना पाओगे
(तोड़कर मेरे दिल को, तुम सुकूँ ना पाओगे)
(तोड़कर मेरे दिल को, तुम सुकूँ ना पाओगे)
तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे
(तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे)
सुबह पहली गाड़ी से घर को लौट जाओगे
(सुबह पहली गाड़ी से घर को लौट जाओगे)
तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे
Credits
Writer(s): Zaheer Alam, Mohd. Shafi Niyazi
Lyrics powered by www.musixmatch.com
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