Bandar

Chunnu बैठा था घर के अंदर
खों-खों करता घुस आया बंदर
उछल-कूद कर धूम मचाई
Chunnu की हिम्मत चकराई

याद उसे नानी की आई
खिल गया चेहरा, हँसी भी आई
बाहर फ़ेके उस ने चुकंदर
सरपट भागा अंदर से बंदर

Chunnu ने सब से शाबाशी पाई
नानी ने फिर क़ुल्फ़ी भी खिलाई
Chunnu कहलाने लगा सिकंदर
सूझ-बूझ से उस की भाग गया जो बंदर



Credits
Writer(s): Jay Arya, Raj Jain
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