Madkan Aali Jutti

अज तर्क तर्क क्यूं से भटक, सीधा सीधा बोल कोन सी रर्क
चांदी की ले अा दे पंजेब, जो बोले खनक खनक
मड़कन आली जूती ले आ दे, चालूंगी मैं मटक मटक

रोज रोज के तेरे खर्चे, गांव में हो रे तेरे चर्चे
मेरे बस की कोन्या, रोज रोज सिर परवानगी
कोई लिमट होया कर गिरवानगी

नाक का कोका ले आ दे
तांग कुरती सया दे, मेरा काम में रूका पाटनगी
मेरी पतली कमर लचके यूं ही चटक चटक



Credits
Writer(s): Manjeet Mehra, G R Panipat
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