Taajub Hai

तू था तू, मैं थी मैं, ऐसे कैसे हम हुए?
ख़्वाहमख़ाह का ये फ़ितूर
तू भी ना, मैं भी ना, ऐसे कैसे हाँ हुए?
ख़्वाहमख़ाह सा ये फ़ितूर

चहका ये क्यूँ? बहका ये क्यूँ?
अरे, छलका-छलका दिल हमारे से

इश्क़ में इस तरह क्यूँ फँसाए मुझे?
दिल मेरे, सच मुझे तुझ पे ताज्जुब है
इश्क़ में बेवजह क्यूँ सताए मुझे?
दिल मेरे, सच मुझे तुझ पे ताज्जुब है
ताज्जुब है

(ताज्जुब है)
(ताज्जुब, ताज्जुब है)

इश्क़ से भिड़ जाए जा के
देखो, इसकी दादागिरी देखो
प्रीत से पिटता है जा के
देखो, इसकी बेशर्माई देखो

सब कच्ची-पक्की फाँके
फिर लंबी-लंबी हाँके
और चप्पे-चप्पे आफ़तें मचाए क्यूँ?

गिरता है क्यूँ? पड़ता है क्यूँ?
अरे, छलका-छलका दिल हमारे से

इश्क़ में इस तरह क्यूँ फँसाए मुझे?
दिल मेरे, सच मुझे तुझ पे ताज्जुब है
इश्क़ में बेवजह क्यूँ सताए मुझे?
दिल मेरे, सच मुझे तुझ पे ताज्जुब है
ताज्जुब है

छुप जाता है हल्की सी मुस्कान गाल पर फेंक के
रुक जाता है बीच हवा में ना जाने क्या देख के

इश्क़ में (इश्क़ में), इश्क़ में (इश्क़ में)
इश्क़ में (इश्क़ में), इश्क़ में (इश्क़ में)
इश्क़ में (इश्क़ में), इश्क़ में

इश्क़ में इस तरह क्यूँ फँसाए मुझे?
दिल मेरे, सच मुझे तुझ पे ताज्जुब है
इश्क़ में बेवजह क्यूँ सताए मुझे?
दिल मेरे, सच मुझे तुझ पे ताज्जुब है
(ताज्जुब है), ताज्जुब है, हाँ

ताज्जुब है



Credits
Writer(s): Gulraj Singh Ghumman
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