Tum Bhi Kuch Kaho

वो साँझ का समय था, मैं बगल में तेरे था खड़ा
नींद भी थकी सी थी, अँधेरे में उजाला सा
वो साँझ का समय था, मैं बगल में तेरे था खड़ा
नींद भी थकी सी थी, अँधेरे में उजाला सा

साँस लूँ या कुछ कहूँ
ये गुफ़्तगू ख़ुद ही से मैं
कर रहा था जो तूने कहा

"तुम भी कुछ कहो
गुमसुम से ना रहो"

सुनो तो, कहो तो
कैसे हो तुम?
सुनो तो, कहो तो
कैसे हो तुम?

शरमाओ ना, मैं ही हूँ वो खोया था जो पल
हम चले-फिरे, हँसे-उठे, वक़्त वो हसीन था
ज़िंदगी में फिर मिलेंगे, हो गया यक़ीं था

क्या कहूँ, क्या ना कहूँ
ये गुफ़्तगू ख़ुद ही से मैं
कर रहा था जो तूने कहा

"जैसे हो तुम
वैसे रहना सदा"



Credits
Writer(s): Piyush Bhisekar
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