Haal e Dil

(हाल-ए-दिल, कैसे करूँ बयाँ?)
(कैसे दूँ जज़्बातों को दिल की ज़ुबाँ?)

हाल-ए-दिल, कैसे करूँ बयाँ?
कैसे दूँ जज़्बातों को दिल की ज़ुबाँ?

चल दिए तुम ना जाने कहाँ
रह गए हम यहाँ के यहाँ

जाने क्यूँ कहते हो, "अब वो बात नहीं"
हम साथ रहें, ऐसे हालात नहीं
फ़िर भी मैं रहूँगा, हर पल सहूँगा
'गर तुम वापस आओ, तुम्हें यहीं मिलूँगा

हाल-ए-दिल, कैसे करूँ बयाँ?
कैसे दूँ जज़्बातों को दिल की ज़ुबाँ?

ये तो बता जा कि मेरी क्या ख़ता है?
हम होश खो चुके हैं, तुम्हें ना पता है
ख़ुद में भी ढूँढता हूँ तेरा निशाँ

हाल-ए-दिल, कैसे करूँ बयाँ?
कैसे दूँ जज़्बातों को दिल की ज़ुबाँ?



Credits
Writer(s): Faridkot
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