Zikr (From "Amavas")

होने लगा इस तरह, मेरी ग़लती है
दिल को रोका तो ये ज़ुबाँ चलती है

इश्क़ को मैंने बड़ा समझाया
इश्क़ के आगे कहाँ चलती है

तेरा ना करता ज़िक्र, तेरी ना होती फ़िक्र
तेरे लिए दिल रोता ना कभी
यूँ ना बहाता अश्क, मैं भी मनाता जश्न
ख़ुद के लिए भी जीता ज़िंदगी

बा-ख़ुदा, दिल गया
बा-ख़ुदा, दिल गया
बा-ख़ुदा, दिल गया
बा-ख़ुदा, दिल गया, हाँ

तेरा ना करता ज़िक्र, तेरी ना होती फ़िक्र
तेरे लिए दिल रोता ना कभी
यूँ ना बहाता अश्क, मैं भी मनाता जश्न
ख़ुद के लिए भी जीता ज़िंदगी

जिस्म से तेरे मिलने दे मुझे
बेचैन ज़िंदगी इस प्यार में थी
उँगलियों से तुझ पे लिखने दे ज़रा
शायरी मेरी इंतज़ार में थी

मुझ पे लुटा दे इश्क़, मुझ को सिखा दे इश्क़
क़िस्मत, मेरे दर आ गया जो तू
मुझको जगाए रख, ख़ुद में लगाए रख
कि रात-भर मैं अब ना सो सकूँ

तेरा ना करता ज़िक्र, तेरी ना होती फ़िक्र
तेरे लिए दिल रोता ना कभी
यूँ ना बहाता अश्क, मैं भी मनाता जश्न
ख़ुद के लिए भी जीता ज़िंदगी



Credits
Writer(s): Junaid Wasi, Asad Khan
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