Kahaani (Female)

चुप रह कर भी ये सब कुछ कहती है
सब कुछ कह कर भी चुप ही रहती है
कभी आँखों से करके इशारा
कभी बाँहों का देके सहारा

मेरा इन राहों से है रिश्ता कोई
अनजाना सा, पुराना क़िस्सा कोई
इनसे जो पूछो तो कहेंगी ये मेरी कहानी

Taxi के भँवरे हैं गा रहे, कितनी जल्दी में हैं जा रहे
मंज़िल कहाँ है ना किसी को है पता
Tram की घंटी इशारों में क़िस्से किसी के छुपा रही है
दिल से सुनो तो ये सब कुछ देगी बता

मेरा इन राहों से है रिश्ता कोई
अनजाना सा, पुराना क़िस्सा कोई
इनसे जो पूछो तो कहेंगी ये मेरी कहानी

सड़कों पर इसकी सपने चलते हैं
१०० खो जाते हैं, दो सच बनते हैं
यही राहें कभी ज़ंजीरें, कभी हाथों की ये लकीरें

मेरा इन राहों से है रिश्ता कोई
अनजाना सा, पुराना क़िस्सा कोई
इनसे जो पूछो तो कहेंगी ये मेरी कहानी



Credits
Writer(s): Vishal Dadlani
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