Kahaniyan

कैसे किस तरह जाने अनजाने में
बन गयी कहानियाँ
किस तरह

हर दिन बीते जाए शाम रातें हो जाए
बढ़ते ही जाए हमारी यारियाँ
कहानियाँ
इस तरह

ये दिल, दिल
बैठे या ना बैठे
कह दिया चुप रहे
आजमाए कौन सा...
ये दिल, दिल

भीग जाए, थम जाए, टूट जाए, ढल जाए
क्या पता कैसा नसीब
फिर भी इस तरह, बन रहे कहानियाँ

कहानियों की परछाई में डूबती चली जाती हैं
ये ज़िन्दगी भी कैसे कैसे नगमें सुनाती हैं
कहानियाँ, इस तरह



Credits
Writer(s): Traditional, Mahesh Prabhakar
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