Doori Poem

कहने को हम पास हैं, पर कितनी दूरी है
ये भी कैसी मजबूरी है?
तुमसे हमदर्दी भी नहीं कर सकता मैं
मेरे बस की बात नहीं है
मैं ये बहते आँसू पोंछूँ, इतनी मेरी औक़ात नहीं है

मैं भी यहीं हूँ, तुम भी यहीं हो
पर सच ये है "मैं हूँ कहीं, तुम और कहीं हो"
कहने को हम पास हैं, पर कितनी दूरी है
ये भी कैसी मजबूरी है?



Credits
Writer(s): Javed Akhtar, Rishi Rich
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