Sehra

१ वजह ढूंढते, बेवजह ढूंढते
खो गया मैं जहाँ में जहाँ ढूंढते
कुछ सिला ढूंढते, सिलसिला ढूंढते
आ गया मैं कहाँ से कहाँ ढूंढते
हर जगह हर गली, मंज़िलें ना मिले
यूँही साँसों में साँसें लिए

सेहरा मेरे रूबरू
बंजारा मैं क्या करूँ?
सेहरा मेरे रूबरू
बंजारा मैं क्या करूँ?

रास्ते हमेशा सफर ही रहे
चैन के पल भी मुख्तसर रहे
रास्ते हमेशा सफर ही रहे
चैन के पल भी मुख्तसर रहे
१ बयाँ बा मिला, कारवां ढूंढते
यूँही साँसों में साँसें लिए

सेहरा मेरे रूबरू
बंजारा मैं क्या करूँ?
सेहरा मेरे रूबरू
बंजारा मैं क्या करूँ?



Credits
Writer(s): Sandeep Nath, Ankit Tiwari
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