Main Musafir

जो छुए लब मेरे, वो जाए तुझ तक ये फ़िज़ा
तुझे भी तो चले पता, मैं तुझ बिन कैसे जी रहा
है मुझमें तू ज़िंदा, कहने को ही दूरियाँ
सीने में कैसी हला है, रूह लापता

मैं मुसाफ़िर अंजाना, प्यार में तेरे हूँ हारा
मैं मुसाफ़िर अंजाना, प्यार में तेरे हूँ हारा

खुदा भी है चुप वहाँ, ना मुकम्मल हुई दुआ
काँच हूँ मैं बिखरा हुआ, जिसमें कभी तेरा अक्स था

जियूँगा किसके लिये, जो तू ही खफ़ा?
ना ये खता है मेरी, फ़िर भी मुल्ज़िम यहाँ

मैं मुसाफ़िर अंजाना, प्यार में तेरे हूँ हारा
मैं मुसाफ़िर अंजाना, प्यार में तेरे हूँ हारा

दरिया है रू-ब-रू, पर फिर भी प्यासा मैं यहाँ
ढूंढे दुनिया जन्नत को, लेकिन मैं हूँ बस तुझ पे फ़ना
खोया है क्या मैंने, जाने बस मेरा खुदा
उम्र भर की मोहब्बत है रूह की सदा

मैं मुसाफ़िर अंजाना, प्यार में तेरे हूँ हारा



Credits
Writer(s): Vinay Kapoor, Akash Tyagi
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link