Junooniyat (Unplugged) [From "Junooniyat (Unplugged)"]

पलकें जिएँ कैसे आँखों बिना?
मुमकिन है ये क्या क्या मेरे ख़ुदा?
क्यूँ साँस लूँ यूँ ही बस बेवजह
रेहा कर मुझे मेरे दर्दों से ज़रा

दिल जो इबादत करे इश्क़ की
तो मर के भी ज़िंदा रहे आशिक़ी
जुनूनियत है यही, जुनूनियत है यही
जुनूनियत है यही, जुनूनियत है यही

तू नहीं तो लग रहे हैं रात जैसे दिन
आँखों के मौसम हैं भीगे आज तेरे बिन
तू जुदा तो रुक गई हैं सीने में साँसें कहीं
आँखों से बिछड़ी लकीरें कह रही हैं बस यही

दिल जो इबादत करे इश्क़ की
तो मर के भी ज़िंदा रहे आशिक़ी
जुनूनियत है यही, जुनूनियत है यही
जुनूनियत है यही, जुनूनियत है यही
जुनूनियत है यही, जुनूनियत है यही
जुनूनियत है यही, जुनूनियत है यही

जुनूनियत है यही



Credits
Writer(s): Kumaar, Meet Bros
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