Kya Sukun Mila Tujhe

क्या सुकूँ मिला तुझे मेरे दिल को तोड़ कर?
रात-दिन तड़पती होगी
तू भी मुझे छोड़कर, तू भी मुझे छोड़कर

तुझको भी चुभा होगा मेरे दिल का टुकड़ा
रात-दिन तड़पती होगी
तू भी मुझे छोड़कर, तू भी मुझे छोड़कर

हाथों से समेटे थे मैंने दिल के नुकीले टुकड़े
जाने क्यूँ जुदा हुए हम, कब इस तरह से बिछड़े

देखे थे हमने जो कभी मिलके चंद ख़्वाब
रात-दिन तड़पती होगी
तू भी मुझे छोड़कर, तू भी मुझे छोड़कर

तेरी ख़ुशबू है बसी मिलते थे हम जहाँ
वहीं पे ही जम गया यादों का वो कारवाँ

ख़ाली तूने कर दिया मेरे दिल का ये मकाँ
रात-दिन तड़पती होगी
तू भी मुझे छोड़कर, तू भी मुझे छोड़कर



Credits
Writer(s): Muhammad Irfan
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