Junooniyat (Unplugged)

पलके जिएँ कैसे आँखों बिना?
मुमकिन है ये क्या, ओ, मेरे ख़ुदा?
क्यूँ साँस लूँ यूँ ही बस बेवजह?
रिहा कर मुझे मेरे दर्दों से ज़रा

दिल जो इबादत करे इश्क़ की
तो मर के भी ज़िंदा रहे आशिक़ी

जुनूनियत है यही, जुनूनियत है यही
जुनूनियत है यही, जुनूनियत है यही

तू नहीं तो लग रहें हैं रात जैसे दिन
आँखों के मौसम हैं भीगे आज तेरे बिन
तू जुदा तो रुक गईं हैं सीने में साँसें कहीं
हाथों से बिछड़ी लकीरें कह रही हैं बस यही

"दिल जो इबादत करे इश्क़ की
तो मर के भी ज़िंदा रहे आशिक़ी"

जुनूनियत है यही, जुनूनियत है यही
जुनूनियत है यही, जुनूनियत है यही
जुनूनियत है यही, जुनूनियत है यही
जुनूनियत है यही, जुनूनियत है यही

(जुनूनियत है यही)



Credits
Writer(s): Harmeet S. Chandhoke, Rakesh Kumar Pal, Manmeet Singh Chandhoke, Anjan Bhattacharya
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