Hui Aankh Nam

हुई आँख नम और ये दिल मुस्कुराया
हुई आँख नम और ये दिल मुस्कुराया
तो साथी कोई भुला याद आया
(हाँ, आया, साथी कोई भुला याद आया)

मोहब्बत का जब भी कहीं ज़िक्र आया
मोहब्बत का जब भी कहीं ज़िक्र आया
तो साथी कोई भुला याद आया
(हाँ, आया, साथी कोई भुला याद आया)

क्या यही प्यार करने का अंजाम है?
दिल लगाने का ये कैसा ईनाम है?
दिल लगाने का ये कैसा ईनाम है?

हँसी जिसको दी है, उसी ने रुलाया
हँसी जिसको दी है, उसी ने रुलाया
तो साथी कोई भुला याद आया
(हाँ, आया, साथी कोई भुला याद आया)

इस तरह रस्म-ए-उल्फ़त अदा कीजिए
दिल किसी का ना टूटे, दुआ कीजिए
दिल किसी का ना टूटे, दुआ कीजिए

कभी रेत पर घर किसी ने बनाया
कभी रेत पर घर किसी ने बनाया
तो साथी कोई भुला याद आया
(हाँ, आया, साथी कोई भुला याद आया)

रूठ जाते हैं बनके मुक़द्दर यहाँ
छूट जाते हैं हाथों से सागर यहाँ
छूट जाते हैं हाथों से सागर यहाँ

कभी सर्द शबनम ने कोई घर जलाया
कभी सर्द शबनम ने कोई घर जलाया
तो साथी कोई भुला याद आया
(हाँ, आया, साथी कोई भुला याद आया)

हुई आँख नम और ये दिल मुस्कुराया
हुई आँख नम और ये दिल मुस्कुराया
तो साथी कोई भुला याद आया
(हाँ, आया, साथी कोई भुला याद आया)

हाँ, आया, साथी कोई भुला याद आया
(हाँ, आया, साथी कोई भुला याद आया)



Credits
Writer(s): Nawab Arzoo
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