Mausam-E-Gul Ko (Live)

Amir Surti की लिखी हुई ग़ज़ल पेश कर रहा हूँ

मौसम-ए-गुल भी क़यामत की हवा देता है
मौसम-ए-गुल भी क़यामत की हवा देता है
और दीवाने को दीवाना बना देता है (वाह! वाह!)
मौसम-ए-गुल भी क़यामत की हवा देता है
और दीवाने को दीवाना बना देता है
मौसम-ए-गुल...

यूँ तो एक अश्क-ए-नदामत नहीं कुछ भी, लेकिन
यूँ तो एक अश्क-ए-नदामत नहीं कुछ भी, लेकिन
बहर-ए-रहमत में ये तूफ़ान उठा देता है (वाह! वाह! वाह! वाह!)
बहर-ए-रहमत में ये तूफ़ान उठा देता है

और दीवाने को दीवाना बना देता है
मौसम-ए-गुल...

सख़्त हो जाए अगर राह तो मायूस ना हो
सख़्त हो जाए अगर राह तो मायूस ना हो
ये भी नज़दीकी-ए-मंज़िल का पता देता है (वाह! वाह! वाह! क्या बात है)
ये भी नज़दीकी-ए-मंज़िल का पता देता है

और दीवाने को दीवाना बना देता है
मौसम-ए-गुल...

क़ाबिल-ए-ग़ौर शे'र है (इरशाद)

ना ख़ून-ए-ग़म तेरी इस सीना-ख़राशी के निसार
ना ख़ून-ए-ग़म तेरी इस सीना-ख़राशी के निसार
ना ख़ून-ए-ग़म तेरी इस सीना-ख़राशी के निसार
ज़ख़्म खुल जाने पे कुछ और मज़ा देता है (वाह! वाह! क्या बात है, वाह!)
ज़ख़्म खुल जाने पे कुछ और मज़ा देता है

और दीवाने को दीवाना बना देता है
मौसम-ए-गुल...

किस-क़दर गहरा असर करती है वो मासूमी
किस-क़दर गहरा असर करती है वो मासूमी
किस-क़दर गहरा असर करती है वो मासूमी
किस-क़दर गहरा असर करती है वो मासूमी
जब नदामत से कोई आँख झुका देता है (वाह! वाह! क्या बात है, वाह!)
जब नदामत से कोई आँख झुका देता है

और दीवाने को दीवाना बना देता है
मौसम-ए-गुल भी क़यामत की हवा देता है
और दीवाने को दीवाना बना देता है
मौसम-ए-गुल...



Credits
Writer(s): Pankaj Udhas, Amir Surti
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