Aaj Ki Raat

आज की रात...
आज की रात चलो जागती आँखों में हसीं ख़ाब बुने

भूल जाएँ कि मोहब्बत के सिवा दुनिया में
और भी ग़म हैं, कोई और भी तकलीफ़ें हैं
मूँद लें आँख हर-एक दर्द से
बस आज की रात...

आज की रात चलो जागती आँखों में हसीं ख़ाब बुने
आज की रात चलो जागती आँखों में हसीं ख़ाब बुने

भूल जाएँ कि कभी हमने ये चाहा था कि हम
तितलियों की तरह उल्फ़त की हवाओं में उड़ें
रास्ता जैसा है पुरकार कि फूलों से लदा
हाथ में हाथ लिए तोड़ के रस्में सारी
बस यूँ ही चलते रहें, चलते रहें, चलते रहें

वक़्त के हाथ में अहसास की दीवारों पर
अपनी बे-लौस मोहब्बत के ना मिटने वाले
सुर्ख़ बे-दाग़ लहू से जो इबारत है लिखी
आज की रात, मेरी जाँ, वो इबारत ना पढ़ें

आज की रात चलो जागती आँखों में हसीं ख़ाब बुने

मैंने माना कि ये दुश्वार बहुत है लेकिन
कौन सी बात है आसाँ यहाँ?
ये तो सोचो हिज्र के ज़िक्र में जाना
जो ये पल बीत गया जाने फ़िर वक़्त के

वीरान घने जंगल में ये हसीं वस्ल का पल हमको मिले या ना मिले
इसलिए आओ, मेरी जाँ, फ़क़त इस लम्हें
दिल की पेशानियों रुख़सार से धोकर अफ़्कार
एक लम्हा ही सही जीने की ख़्वाहिश तो करें
धड़कनें आज नयी शोख़ धुनों से भरे दें

आज की रात चलो जागती आँखों में हसीं ख़ाब बुने
आज की रात चलो जागती आँखों में हसीं ख़ाब बुने

आज की रात...
आज की रात...
आज की रात...
आज की रात...
आज की रात...
आज की रात...



Credits
Writer(s): Majrooh Sultanpuri, Rahul Dev Burman
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