Dhola

ओये आवण आवण केह गयो, हाँ
आवण आवण केह गयो
और दे गयो कौण अनेक
गिनता गिनता घिस गयी
उमर अगनिया री रेक

तरि बात अधूरी पड़ी सेज्या सुनी (ढोला)
हो करि बात अधूरी पड़ी सेज्या सुनी
हो सुध बुध लेवन नेया
ओ ढोला दूर ना जा
ओ ढोला दूर ना जा

करि बात अधूरी पड़ी सेज्या सुनी
हो सुध बुध लेवन नेया
ओ ढोला दूर ना जा
ओ ढोला दूर ना जा

साथ जीने मरने की फिर कसम ही क्यों थी उठाई?
ओ ढोला कसम ही क्यों थी उठाई?
पास पास का वादा करके तू कर गया पराई
रे ढोला तू कर गया पराई
किस बिरहँ के
किस बिरहँ के ग़मो की कौन करेगा अब भरपाई?

रे ढोला दूर ना जा
ओ ढोला दूर ना जा



Credits
Writer(s): Raja Hasan, Riaz Urehman Sagar
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