Kuch Din

कुछ दिन से मुझे तेरी आदत हो गई है
कुछ दिन से मुझे तेरी आदत हो गई है
कुछ दिन से मेरी तू ज़रूरत हो गई है
तेरे लबों से मैं हँसूँ, तेरी लहरों में बहूँ
मुझ को क़सम लगे अगर तेरे बिना मैं जियूँ

कुछ दिन से मुझे तेरी आदत हो गई है
कुछ दिन से मेरी तू ज़रूरत हो गई है
तेरे लबों से मैं हँसूँ, तेरी लहरों में बहूँ
मुझ को क़सम लगे अगर तेरे बिना मैं जियूँ

तेरी हवा में ही उड़ूँ मैं आजकल, मैं आजकल
तेरे कदम से ही चलूँ मैं आजकल, मैं आजकल
कुछ भी नहीं मुझ में मेरा, जो भी है वो है तेरा

कुछ दिन से मुझे तेरी आदत हो गई है

अक्सर अता-पता मेरा रहता नहीं, रहता नहीं
कोई निशाँ मेरा कहीं मिलता नहीं, मिलता नहीं
ढूँढा गया जब भी मुझे, तेरी गली में मिला

कुछ दिन से मुझे तेरी आदत हो गई है
कुछ दिन से मेरी तू ज़रूरत हो गई है
तेरे लबों से मैं हँसूँ, तेरी लहरों में बहूँ
मुझ को क़सम लगे अगर तेरे बिना मैं जियूँ



Credits
Writer(s): Rajesh Roshan, Manoj Muntashir Shukla
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