Sanam Re-Phir Mohabbat

भीगी-भीगी सड़कों पे मैं तेरा इंतज़ार करूँ
धीरे-धीरे दिल की ज़मीं को तेरे ही नाम करूँ
खुद को मैं यूँ खो दूँ कि फिर ना कभी पाऊँ
हौले-हौले ज़िंदगी को अब तेरे हवाले करूँ
क्या है ये सिलसिला, जानूँ ना, मैं जानूँ ना

हो, दिल, सँभल जा ज़रा
फिर मोहब्बत करने चला है तू
दिल, यहीं रुक का ज़रा
फिर मोहब्बत करने चला है तू

जिस राह पे है घर तेरा
अक्सर वहाँ से, हाँ, मैं हूँ गुज़रा
शायद यही दिल में रहा
तू मुझको मिल जाए क्या पता

मेरा मुक़द्दर सँवारा है यूँ
नया सवेरा जो लाया है तू
तेरे संग ही बिताने हैं मुझको
मेरे सारे जनम रे

सनम रे, सनम रे, तू मेरा सनम हुआ रे
सनम रे, सनम रे, तू मेरा सनम हुआ रे
धरम रे, करम रे, तेरा मुझ पे करम हुआ रे
सनम रे, सनम रे, तू मेरा सनम हुआ रे

बादलों की तरह ही तो तूने मुझ पे साया किया है
बारिशों की तरह ही तो तूने खुशियों से भिगाया है
क्या है ये मामला, जानूँ ना, मैं जानूँ ना

हो, दिल, सँभल जा ज़रा
फिर मोहब्बत करने चला है तू
दिल, यहीं रुक का ज़रा
फिर मोहब्बत करने चला है तू

(सनम रे) जब-जब तेरे पास मैं आया
एक सुकून मिला
(सनम रे) जिसे मैं था ढूँढता आया
वो वजूद मिला (तू मेरा सनम हुआ रे)



Credits
Writer(s): Sayeed Quadri, Mithoon, Abhijit Vaghani
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