Niyam Ho

अपनी तक़दीर जो अपने हाथों लिखे
अपनी हस्ती बना सके
राजा या रंक हो, जग उसके संग हो
ज़्यादा जो अंक पा सके

नियम हो, नियम हो, नियम हो
जहाँ का नया ये नियम हो

बेड़ी अज्ञान की पिघला के ज्ञान से
बंदी सपने छुड़ा सके (बंदी सपने छुड़ा सके)
कुदरत ने एक सा हक़ सबको है दिया
सब हक़ अपना कमा सके

नियम हो, नियम हो, नियम हो
जहाँ का नया ये नियम हो

कोई हुनर जिसमें हो समय उसका ही बदलता है
ओ, माटी नज़र आता हो, पिघल कर सोना उगलता है
क्या लेना जात से, क्या लेना नाम से
पहचाने सबको उनके काम से

बोये दस्तूर ने जितने मतभेद हैं
उनको जड़ से मिटा सकें
राजा या रंक हो, जग उसके संग हो
ज़्यादा जो अंक पा सकें

नियम हो, नियम हो, नियम हो
जहाँ का नया ये नियम हो
नियम हो, नियम हो, नियम हो
जहाँ का नया ये नियम हो



Credits
Writer(s): Amitabh Bhattacharya, Atul Gogavale, Ajay Gogavale
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