Zidd - Remix

पहली सुबह
सो रहा हूँ यहाँ
ख्वाबों में
जी रहा हूँ ज़रा

दील मेरा है
माँगता
जो है लिखा
उन हाथों ने
तकदीर में
मेरे लिए
ज़िद्द पे अड़ा मैं
बेपनाह

तेरे बिना
क्या रखा है यहाँ
हवाओं से
कहता हूँ यह मेरी जान
पहली सुबह
सो रहा हूँ यहाँ
नज़ारों में
जी रहा हूँ ज़रा

जो है मेरा
वह भी खुदा
ना छीन सका
मुझसे
जो मैंने चाहा
वह चख गया
ज़िद्द पे अड़ा हूँ
जबसे
ज़िंदा हूँ
तबसे

पहली सुबह

पहली सुबह

पहली सुबह
सो रहा हूँ



Credits
Writer(s): Shrenik Ganatra
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