Mirza Ve (Male)

शहरे दिल की रौनक तू ही
तेरे बिन सब खाली मिर्ज़ा...

तू ही बता दे कैसे काटून
रात फिराखा वाली मिर्ज़ा...

मिर्ज़ा वे. सुन जेया रे.
वो जो कहना है कब से मुझे
शाहिद हैं. सैयाँ रे...
इक पल मैं ना भूला तुझे

मिर्ज़ा तेरा कलमा पढ़ना
मिर्ज़ा तेरी जानिब बढ़ना
तेरे लिए खुदा से लड़ना
मिर्ज़ा मेरा जीना-मारना
सिर्फ़ तेरे इशारे पे है
ऊओ... सिर्फ़ तेरे इशारे पे है...

चाँद वाली रातों में
तेरी शोख यादों में
डूब-डूब जाता है यह दिल
मों सा पिघलता है
बुझता ना जलता है
देख तू कभी आके घफ़िल

मिर्ज़ा वे. सुन जेया रे.
वो जो कहना है कब से मुझे
शाहिद हैं. सैयाँ रे...
इक पल मैं ना भूला तुझे

मिर्ज़ा तेरा कलमा पढ़ना
मिर्ज़ा तेरी जानिब बढ़ना
तेरे लिए खुदा से लड़ना
मिर्ज़ा मेरा जीना-मारना
सिर्फ़ तेरे इशारे पे है
ऊओ... सिर्फ़ तेरे इशारे पे है...

ओ ख़ुदाया सीने में ज़ख़्म इतने सारे हैं
जीतने तेरे अंबार पे तारे...
जो तेरे समंदर हैं
मेरे आँसुओं से ही
हो गये हैं खारे-खारे

मिर्ज़ा वे. सुन जेया रे.
वो जो कहना है कब से मुझे
शाहिद हैं. सैयाँ रे...
इक पल मैं ना भूला तुझे

मिर्ज़ा तेरा कलमा पढ़ना
मिर्ज़ा तेरी जानिब बढ़ना
तेरे लिए खुदा से लड़ना
मिर्ज़ा मेरा जीना-मारना
सिर्फ़ तेरे इशारे पे है
ऊओ... सिर्फ़ तेरे इशारे पे है...



Credits
Writer(s): Manoj Muntashir, Jeet Gannguli
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