Kaun Kehta Hai

अरे, कौन कहता है मुँह काला है झूठ का?
अरे, कौन कहता है मुँह काला है झूठ का?
कौन कहता है मुँह काला है झूठ का?
कौन कहता है मुँह काला है झूठ का?

ए, सच है ये सच बोल-बाला है झूठ का
अरे, कौन कहता है मुँह काला है झूठ का?

(कौन कहता है मुँह काला है झूठ का?)

चाहे देखो दाएँ, चाहे देखो बाएँ
चाहे देखो दाएँ, चाहे देखो बाएँ
लोग यहाँ झूठ का डंका बजाएँ
(लोग यहाँ झूठ का डंका बजाएँ)

चाहे देखो दाएँ, (चाहे देखो बाएँ)
चाहे देखो दाएँ, (चाहे देखो बाएँ)
लोग यहाँ झूठ का डंका बजाएँ

सच के होंठों पे ताला है झूठ का
अरे, कौन कहता है मुँह काला है झूठ का?

(कौन कहता है मुँह काला है झूठ का?)

झूठ बोलने से बात बन जाती है
अरे, झूठ बोलने से बात बन जाती है
काम चल जाता है, दाल गल जाती है
(काम चल जाता है, दाल गल जाती है)

अरे, झूठ बोलने से (बात बन जाती है)
काम चल जाता है, (दाल गल जाती है)
काम चल जाता है, दाल गल जाती है

त-त-त-त-त-त-तीखा बड़ा मिर्च-मसाला है झूठ का
(कौन कहता है मुँह काला है झूठ का?)

(सच है ये सच बोल-बाला है झूठ का)

झूठ बोले जम कर सिक्का जमा ले
झूठी तारीफ़ कर सबको पटा ले

अरे, झूठ बोले जम कर (सिक्का जमा ले)
झूठी तारीफ़ कर (सबको पटा ले)
झूठी तारीफ़ कर सबको पटा ले (हू, हू, हू, हू)

ए, सारा ज़माना मतवाला है झूठ का
(सारा ज़माना मतवाला है झूठ का)

(कौन कहता है मुँह काला है झूठ का?)

झूठ का ये धंधा है खूब है ये चलता
माल-पानी आजकल झूठे को है मिलता
अरे, झूठ का ये धंधा है (खूब है ये चलता)
माल-पानी आजकल (झूठे को है मिलता)
माल-पानी आजकल झूठे को है मिलता (हू, हू, हू, हू)

ए, रंग और ढंग ही निराला है झूठ का
(रंग और ढंग ही निराला है झूठ का)
अरे, रंग और ढंग ही निराला है झूठ का

(कौन कहता है मुँह काला है झूठ का?)

माना इस झूठ की बात है निराली
माना इस झूठ की बात है निराली
एक बात और है जो है सुनने वाली
एक बात और है जो है सुनने वाली
(जो है सुनने वाली, जो है सुनने वाली)

चढ़ता है सूरज, ढलता है
ये झूठ ना ज़्यादा चलता है
चढ़ता है सूरज, ढलता है
ये झूठ ना ज़्यादा चलता है
पर पैसों के ख़ातिर तू क्यूँ अपने रंग बदलता है?
चढ़ता है सूरज, ढलता है
ये झूठ ना ज़्यादा चलता है

हे, पल दो पल का उजाला है झूठ का
(पल दो पल का उजाला है झूठ का)

अरे, काला है जी काला मुँह काला है झूठ का
(काला है जी काला मुँह काला है झूठ का)

अरे, अभिजीत भैया
अरे, ये तो सच है कि झूठ का मुँह हमेशा काला ही होता है, रे



Credits
Writer(s): Dev Kohli
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