Jayegi Jayegi Jayegi Kahan

जाएगी, जाएगी, जाएगी कहाँ?
क्या ये ज़मीं, क्या ये आसमाँ, हो
दुश्मन हैं तेरे दोनों जहाँ
दुश्मन हैं तेरे दोनों जहाँ

जाएगी, जाएगी, जाएगी कहाँ?
क्या ये ज़मीं, क्या ये आसमाँ, हो
दुश्मन हैं तेरे दोनों जहाँ
दुश्मन हैं तेरे दोनों जहाँ

तू वो पतंग है, क़िस्मत ने जिसको
आँधी में उड़ा के छोड़ दिया

तू वो पतंग है, क़िस्मत ने जिसको
आँधी में उड़ा के छोड़ दिया
ज़ालिम हवा ने जैसे भी चाहा
जहाँ भी चाहा रुख़ मोड़ दिया

कभी इत डोले, कभी उत डोले
जाने ना जाना है कहाँ, हो
दुश्मन हैं तेरे दोनों जहाँ
दुश्मन हैं तेरे दोनों जहाँ

तू उस नैया पे बैठी हुई है
जिसका ना कोई खेवनहार है

तू उस नैया पे बैठी हुई है
जिसका ना कोई खेवनहार है
ना तेरे बस में लहरों से लड़ना
ना तेरे पास पतवार है

पंछी के पंख काटे, कहा सैयाद ने
"जा, अब जाना है जहाँ," ओ
दुश्मन हैं तेरे दोनों जहाँ
दुश्मन हैं तेरे दोनों जहाँ

जाएगी, जाएगी, जाएगी कहाँ?
क्या ये ज़मीं, क्या ये आसमाँ, हो
दुश्मन हैं तेरे दोनों जहाँ
दुश्मन हैं तेरे दोनों जहाँ



Credits
Writer(s): Rajendra Krishan
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