Main Kaun Hoon

Welcome to Kashmir
यहाँ का मौसम और माहौल कभी भी बदल सकता है

बुल्ला कहे, "तू कुछ भी नहीं"
मैं भी कहूँ, "मैं कुछ भी नहीं"
बुल्ला कहे, "तू कुछ भी नहीं"
मैं कुछ भी नहीं

ना देस मेरा, ना मिट्टी मेरी
मैं हूँ बंजारा मेरी ही ज़मीं पे

मैं कौन हूँ? मैं कौन हूँ?
क्यूँ अपने जहाँ में मैं हूँ अजनबी?
मैं कौन हूँ? मैं कौन हूँ?

इस्लाम के नाम पर, पंडितों के नाम पर
कश्मीरियत के नाम पर, आज़ादी के नाम पर
सभी शामिल हैं, सभी शामिल हैं

ना जाने क्यूँ ऐसा हो गया, बेगानी हुई अपनी जगह
ना जाने क्यूँ अपनी ही तरफ़ उठती हैं सभी की उँगलियाँ
अब तो यक़ीं ख़ुद पे भी नहीं, अंजाना है हर लम्हा यहाँ

नज़रें चुराए, आँखें झुकाए
कब तक जिएँ हम इस तरह?
कैसी ख़ता थी जो ये सज़ा दी?
हमको कहीं का ना रखा

जन्नत थी अपनी सरज़मी
"सूफ़ी" हमको कहते सभी
अब तो कोई "मुजरिम"
कोई "आतंकी" कह रहा

मैं कौन हूँ? मैं कौन हूँ?
क्यूँ अपने जहाँ में मैं हूँ अजनबी?
मैं कौन हूँ? मैं कौन हूँ?

ना देस मेरा, ना मिट्टी मेरी
मैं हूँ बंजारा मेरी ही ज़मीं पे
मैं कौन हूँ? मैं कौन हूँ?

चेहरे तो सबके हैं हसीं
पर दिल में है बस आग ही
बुझती नहीं, जो जल रही
जो पूछे बारहा

मैं कौन हूँ? मैं कौन हूँ?
क्यूँ अपने जहाँ में मैं हूँ अजनबी?
मैं कौन हूँ? मैं कौन हूँ?



Credits
Writer(s): Amitabh Varma
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