Ek Pal Hansna Jo Chaha

एक पल हँसना जो चाहा, दर्द पागल कर गया
एक पल हँसना जो चाहा, दर्द पागल कर गया
मेरे मालिक, मैं तो इस जीने के हाथों मर गया
एक पल हँसना जो चाहा, दर्द पागल कर गया

क्या करूँ? किसको पुकारूँ? कोई भी अपना नहीं
मेरे सपनों की चिता, आँखों में है सपना नहीं

दिल पे ऐसी आग बरसी, रोशनी से डर गया
एक पल हँसना जो चाहा, दर्द पागल कर गया

कर गई बर्बाद बस एक भूल मेरे यार की
ठोकरें खाता हूँ मैं अर्थी उठाए प्यार की

ज़िंदगी के जाम में ये ज़हर कैसा भर गया?
एक पल हँसना जो चाहा, दर्द पागल कर गया

अब तो अपने साए से भी मिल के घबराता हूँ मैं
ऐसा लगता है मुझे जब अपने घर जाता हूँ मैं

जैसे कोई अजनबी एक अजनबी के घर गया
एक पल हँसना जो चाहा, दर्द पागल कर गया
मेरे मालिक, मैं तो इस जीने के हाथों मर गया
एक पल हँसना जो चाहा, दर्द पागल कर गया



Credits
Writer(s): Tajdar Taj
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